ISRO कैसे बना दुनिया की सबसे बड़ी Space Agencies में से एक. ISRO की साइकिल से चाँद और फिर मंगल गृह तक के सफर को जानेंगे।
ISRO कैसे बना दुनिया की सबसे बड़ी Space Agencies में से एक
ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुशंधान संगठन) की आज से 60 साल पहले ही नींव रखी गई थी। उस समय इसका नाम INCOSPAR (Indian National Committee for Space Research) रखा गया था। उस समय इसके लिए कोई कार्यालय भी नहीं था। इसरो ने अपना पहला रॉकेट 1963 में लॉन्च किया। तब रॉकेट को साइकिल से ले जाया गया था। और नारियल के पेड़ की मदत से लॉन्च किया गया था। फिर 15 अगस्त 1969 को डॉ. होमी जहाँगीर भाभा और डॉ. विक्रम साराभाई ने मिलकर ISRO की स्थापना की थी। तब इनकी चर्चा (Meeting) केरल के एक चर्च में हुआ करती थी कार्यालय न होने के कारण।
ISRO
ISRO ने 1975 में एक रॉकेट लॉन्च किया। जिसका नाम “आर्यभट्ट” था। इसके सफलता के बाद इसरो का नाम दुनिया में होने लगा। इसरो ने साल 2008 में चंद्रमा पर रॉकेट भेजा। जिसे हम “मिशन चंद्रयान-1” के नाम से जानते है। यह मिशन सफलतापूर्वक चंद्रमा पर पहुँच गया। चंद्रमा पर पानी की खोज इसी मिशन से हुई थी। तब अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA ने भी ISRO की तारीफ़ की थी। फिर ISRO ने 2013 में “मिशन मंगल” नाम से एक रॉकेट भेजा जो सफल रहा। तब इसरो ने पूरी दुनिया में अपना नाम कर लिया। ऐसा करने वाली इसरो दुनिया की चौथी Space Agency बन गई। इसरो ने PSLV नाम से भारत की स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर बना ली। और इसी PSLV Launcher से साल 2017 में एक साथ 104 rocket लॉन्च करके इतिहास रच दिया। जिसमें 3 Rocket भारत की थी। और 101 रॉकेट दुसरे देशो की थी। जिससे इसरो ने पूरी दुनिया की नज़र अपने तरफ खींच ली।

इसरो ने 2019 में चंद्रमा-2 मिशन लॉन्च करके उस जगह जाने की कोशिश की जहाँ कोई आज तक पहुँच नहीं सका। लेकिन भारत और इसरो का यह चंद्रमा-2 मिशन सफल नहीं हो सका। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को हौसला दिया। और उसी समय इसरो ने ऐलान किया की चंद्र्मा-3 मिशन की तैयारी शुरू की जाएगी। और साल 2023 में यह मिशन को लॉन्च किया। और इस बार मिशन सफल रहा। भारत चाँद के उस स्थान पर पहुँच गया। जहाँ आज तक कोई दूसरा देश नहीं पहुँच सका। इसरो आज पूरी दुनिया की सबसे बड़ी Space Agencies में से एक है।
ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुशंधान संगठन)
2007 में यान जिस स्थान पर लैंड हुआ। उस समय की कांग्रेस सरकार ने उस स्थान को “नेहरू पॉइन्ट” नाम दिया। और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2013 के चंद्रमा-2 मिशन का यान जहाँ लैंड हुआ उस स्थान को “तिरंगा पॉइंट” नाम दिया। और 2023 का चंद्रमा-3 मिशन का यान जहाँ लैंड हुआ उस स्थान को “शिवशक्ति पॉइंट” नाम दिया। भारत ने अगस्त 2023 में एक रॉकेट लॉन्च किया था। जो सूर्य की परिक्रमा करेगा और वो भी सफलतापूर्वक अपने कक्षा में पहुँच गया।

अगर हम 60 साल पहले के इसरो को देखते है तो इसरो के पास ठीक तरीके से कार्यालय भी नहीं थे। अपना रॉकेट उन्हें साइकिल से ले जाना पड़ा था। और इसरो के पास तब रॉकेट लॉन्चर न होने के कारण नारियल के पेड़ का सहारा लेना पड़ा था। और आज इसरो ने उन सारी चीजों को हासिल कर लिया जिसके वे हकदार थे। इसरो के पास उस समय भी अच्छे वैज्ञानिक थे। एम. के. मित्रा, मेघनाथ साहा, सी. वी. रमन, डॉ. होमी भाभा, डॉ. विक्रम साराभाई जैसे बड़े-बड़े वैज्ञानिक भारत के पास थे। फिर डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जिन्हे हम मिसाइल मैन के नाम से भी जानते हैं। जो आगे चलकर हमारे देश भारत के राष्ट्रपति भी बने। भारत का ISRO दुनिया के Space Agencies के मुकाबले बहुत कम खर्चो में मिशन की सफलतापूर्वक लॉन्च करता हैं। दुनिया इसरो को कम बजट वाली Agency के लिए भी जानती है।
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